भारत के पश्चिम भाग में स्थित राज्य महाराष्ट्र, क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का तीसरा सबसे विशाल प्रदेश है, जिसकी राजधानी है मुंबई। मुंबई देश की आर्थिक राजधानी भी है। अरब सागर के तट पर बसे इस शहर को बॉलीवुड नगरी और स्वप्न शहर के नाम से भी जाना जाता है। मुंबई के पश्चिम उपनगर और ठाणे उपनगर के मध्य स्थित है, संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान | जो कि रोमांच के साथ-साथ भारतीय इतिहास के एक अध्याय का भी साक्षी है | इसकी गणना नगर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में की जाती है। स्वतंत्रता पूर्व यह उद्यान ‘कृष्णगिरी राष्ट्रीय उद्यान’ के नाम से प्रचलित था।
मुंबई के संपूर्ण क्षेत्रफल का अनुमानतः 20% अर्थात् 104 वर्ग किमी के भूभाग पर यह उद्यान व्याप्त है।
उद्यान का प्राकृतिक सौंदर्य
सदाबहार घने जंगल एवं 1300 से अधिक वनस्पतियों की प्रजातियों को इस उद्यान ने संजो के रखा है। इसके अतिरिक्त 274 प्रजाति के पक्षियों एवं 170 प्रजाति की ख़ूबसूरत तितलियों का आश्रय स्थल भी है |

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अपने निवास में स्वतंत्रतापूर्वक भ्रमण का आनंद लेते हुए तेंदुए, मकाओ (Macau), शेर, फ़्लायिंग फ़ॉक्स, किंगफ़िशर, संबर्डस आदि जानवरों एवं पक्षियों की कई प्रजातियाँ हैं। पर्यटकों की इन वन्यजीवों को निकट से देखने की लालसा को परिणाम देने के लिए लॉयन सफ़ारी की व्यवस्था भी है जो की अपने आप में अनूठा अनुभव है।

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मंद गति से चलने वाली जंगल रानी जो कि एक टॉय ट्रेन है, बच्चों के लिए विशेषतः तैयार की गयी है जिसका लुत्फ़ सभी उम्र के लोग लेते हैं। 15 मिनट की यह सवारी छोटी सुरंगों, पुलों और हिरण पार्क के अदभुत नज़ारोंके दर्शन कराती है।
नौका-विहार का आनंद लेने के लिए उद्यान में तुलसी झील और विहार झील नाम की दो कृत्रिम झीलें हैं।
संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान में ट्रेकिंग की सुविधा भी है। ट्रेकिंग के दौरान हतप्रभ कर देने वाले मनोरम दृश्य, आकर्षित करने वाले ख़ूबसूरत झरने, हरे-भरे जंगल अविस्मरणीय हैं।
कान्हेरी का इतिहास
प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ इतिहास के कुछ साक्ष्य आज भी इस उद्यान में उपस्थित हैं और इनका स्मरण कराती हैं ‘कान्हेरी की गुफाएँ’ | ये गुफाएं उद्यान के परिसर में स्थित हैं और इतिहास प्रेमियों के लिए एक अदभुत उपहार है।
संस्कृत शब्द कृष्णगिरी से उदधृत शब्द है कान्हेरी अर्थात् काला पर्वत। इसी काले पहाड़ यानी बेसाल्टिक पत्थर को तराश कर इन 109 गुफाओं के समूह का निर्माण किया गया है। ये भारत की प्राचीनतम एवं 16 रहस्मयी गुफाओं में से एक हैं | जिनमे बौद्ध धर्म का प्रभाव साक्षात रूप में देखने को मिलता है। 9वीं तथा 10वीं शताब्दीके मध्य यह एक महत्त्वपूर्ण बौद्ध शिक्षा केंद्र व तीर्थ स्थान थीं।
इन दर्शनीय गुफाओं में अन्य चमत्कारिक संरचनाओं का अवलोकन भी किया जा सकता है जो की अनुमानतः 2200 वर्ष पुरानी हैं | इनमें प्राचीन मूर्तियाँ, शिलालेख, चित्र और जटिल नक़्क़ाशीदार स्तम्भ सम्मिलित हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इन गुफाओं के लगभग 100 प्रवेश द्वार हैं। गुफाओं के आसपास छोटे झरनें और जलप्रपात अत्यन्त ही सुखद एवं सुंदर वातावरण का निर्माण करते हैं।

Credit : A. Savin

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इस पर्यटन स्थल की सैर के लिए लगभग 3 लाख सैलानी प्रतिवर्ष आते हैं। प्रकृति के अनुपम सौंदर्य एवं ऐतिहासिक धरोहर को समेटे संजय गाँधी राष्ट्रीय उद्यान, मनोरंजन और ज्ञान का एक उत्कृष्ट उदाहरण है |
यहाँ पर व्यतीत किया हुआ प्रत्येक क्षण तन-मन को आल्हादित कर देता है।